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जाति-पंथ सब भले अलग पर खून तो हिंदुस्तानी है – गजेंद्र सोलंकी
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दिल्ली विश्वविद्यालय के पीजीडीएवी महाविद्यालय (सांध्य) ने स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर शहीदों को नमन करते हुये ‘ काव्यम ’ के संयुक्त तत्वावधान में एक राष्ट्रीय ‘ शौर्य कवि सम्मेलन ’ का आयोजन किया। इस अवसर पर कवियों का स्वागत करते हुये कॉलेज के प्राचार्य डॉ रवीद्र कुमार गुप्ता ने कहा कि ‘ हम तो पूरे वर्ष भर शहीदों को नमन करते हैं लेकिन 15 अगस्त का दिन उन सभी शहीदों के नाम हैं जिन्होने गुमनाम रहते हुये इस देश के लिए बलिदान दिया। ‘ इस अवसर पर सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुये ख्याति प्राप्त कवि गजेंद्र सोलंकी ने कहा कि यह राष्ट्र तो विभिन्न संस्कृतियों को सँजो कर रखने वाला राष्ट्र है। भले ही हम विभिन्न भाषाओं , बोलियों और पंथों के हों लेकिन हम सभी का रक्त इस राष्ट्र के लिए ही बहता है। सम्मेलन के संयोजक और संचालक हरीश अरोड़ा ने कहा कि भारत के विराट बोध को समझना है तो भारत की सांस्कृतिक धरोहर को समझना होगा। इस अवसर पर झारखंड , मध्य प्रदेश , मथुरा , अयोध्या , दिल्ली और हरियाणा से आए कवियों ने अपनी कविताओं से सभागार में ओज का माहोल बना दिया। गजेंद्र स
योग से विचारों में पवित्रता आती है : समता चौधरी
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अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर विगत् वर्षों की भांति दिल्ली विश्वविद्यालय के पी.जी.डी.ए.वी. कॉलेज ( सांध्य) में इस वर्ष मेधाविनी सिंधु सृजन के सहयोग से 18-21 जून 2018 तक पाँच दिवसीय योग कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसके समापन समारोह के अवसर पर प्रसिद्ध योग विशेषज्ञ सुश्री समता चौधरी ने मुख्य अतिथि के रूप में योग के संबंध में अपने विचार रखते हुये कहा कि योग व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ बनाता है। उन्होने कहा कि योग के कारण मनुष्य का जीवन तनाव से मुक्त रहता है जिसके कारण उसके विचारों में पवित्रता आ जाती है। उन्होने यह भी कहा कि आजकल कि भागदौड़ भरी ज़िंदगी में योग मनुष्य के मन को शांत रखता है और इससे आत्मा का परमात्मा से सहज ही साक्षात्कार हो जाता है। इस अवसर पर एन.सी.सी. कैडेट्स के लिए चल रही पाँच दिवसीय योग कार्यशाला के समापन समारोह के अवसर पर कॉलेज के प्राचार्य डॉ. रवीन्द्र कुमार गुप्ता ने विद्यार्थियों और प्राध्यापकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि योग केवल व्यायाम
Ayurveda is the WAY OF LIFE
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The Medical Committee of PGDAV College (Eve.) has been celebrating 60 years of academic excellence by organizing a spectrum of activities. To continue with the endeavor, the medical committee organized a talk on ‘’ AYURVEDA AND ALOPATHY – an integrated approach towards medical treatment ‘’ addressed by world renowned ayurvedic specialist DR. AKHILESH SHARMA, on march 15, 2018. Dr. Sharma was honored by Dr. RK Gupta, Principal of the college and Dr. Anita Bajaj, convener of Medical Committee , with a momento of ‘’ ॐ ‘’ signifying the essence of Vedas. After lightening of the lamp, Dr. RK Gupta mentioned the extraordinary achievements of the chief guest, Dr. Sharma and briefly introduced the topic along with emphasizing upon the importance of AYURVEDA in today’s modern world. Dr. Sharma began his harangue with a Vedic Mantra that infused the gathering with positive and sacred vibrations and emerged the feelings of realizing true self. Later on, he pragmatically different
FIVE ‘’S” NUCLEUS : The Fundamentals of Indian Culture
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The Women Development Cell (WDC) of PGDAV College (Eve.) in collaboration with MEDHAVINI SINDHU SRIJAN, in the process of celebrating 60 years of academic excellence of the college, organized a talk on INDIAN CULTURE AND YOUTH’S PERSPECTIVE on March 14, 2018 ; in which eminent and dynamic personalities such as, Dr. Pratyush Vatsala, Principal, Lakshmibai College, Dr. Jyoti Rana, Associate Professor, DAV Centenary College Faridabad, Ms. Preeti Malhotra, Convener of Medhavini Sindhu Srijan and Ms. Sunita Bhatia, Convener of Sharanya, shared their experiences and perspective regarding Indian Culture, its role and how today’s youth can lead a better and peaceful life, by not merely knowing but also adhering to the values of our inheritance. All the guests were honored with a momento signifying ‘’ ॐ ’’and the talk was started with the lightening of the lamp. Dr. R.K.Gupta, Principal of the college, talked about FLEXIBILITY AND DYNAMISM as o
राष्ट्रवाद से जुड़े विमर्शों को रेखांकित करती एक किताब
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समीक्षक - लोकेन्द्र सिंह (समीक्षक विश्व संवाद केंद्र,भोपाल के कार्यकारी निदेशक हैं।) देश में राष्ट्रवाद से जुड़ी बहस इन दिनों चरम पर है। राष्ट्रवाद की स्वीकार्यता बढ़ी है। उसके प्रति लोगों की समझ बढ़ी है। राष्ट्रवाद के प्रति बनाई गई नकारात्मक धारणा टूट रही है। भारत में बुद्धिजीवियों का एक वर्ग ऐसा है , जो हर विषय को पश्चिम के चश्मे से देखते है और वहीं की कसौटियों पर कस कर उसका परीक्षण करता है। राष्ट्रवाद के साथ भी उन्होंने यही किया। राष्ट्रवाद को भी उन्होंने पश्चिम के दृष्टिकोण से देखने का प्रयास किया। जबकि भारत का राष्ट्रवाद पश्चिम के राष्ट्रवाद से सर्वथा भिन्न है। पश्चिम का राष्ट्रवाद एक राजनीतिक विचार है। चूँकि वहाँ राजनीति ने राष्ट्रों का निर्माण किया है , इसलिए वहाँ राष्ट्रवाद एक राजनीतिक विचार है। उसका दायरा बहुत बड़ा नहीं है। उसमें कट्टरवाद है,जड़ता है। हिंसा के साथ भी उसका गहरा संबंध रहा है। किंतु , हमारा राष्ट्र संस्कृति केंद्रित रहा है। भारत के राष्ट्रवाद की बात करते हैं तब ' सांस्कृतिक राष्ट्रवाद ' की तस्वीर उभर कर आती है। विभिन्नता में एका