जाति-पंथ सब भले अलग पर खून तो हिंदुस्तानी है – गजेंद्र सोलंकी


      दिल्ली विश्वविद्यालय के पीजीडीएवी महाविद्यालय (सांध्य) ने स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर शहीदों को नमन करते हुये काव्यम के संयुक्त तत्वावधान में एक राष्ट्रीय शौर्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया। इस अवसर पर कवियों का स्वागत करते हुये कॉलेज के प्राचार्य डॉ रवीद्र कुमार गुप्ता ने कहा कि हम तो पूरे वर्ष भर शहीदों को नमन करते हैं लेकिन 15 अगस्त का दिन उन सभी शहीदों के नाम हैं जिन्होने गुमनाम रहते हुये इस देश के लिए बलिदान दिया। 


इस अवसर पर सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुये ख्याति प्राप्त कवि गजेंद्र सोलंकी ने कहा कि यह राष्ट्र तो विभिन्न संस्कृतियों को सँजो कर रखने वाला राष्ट्र है। भले ही हम विभिन्न भाषाओं, बोलियों और पंथों के हों लेकिन हम सभी का रक्त इस राष्ट्र के लिए ही बहता है।


 सम्मेलन के संयोजक और संचालक हरीश अरोड़ा ने कहा कि भारत के विराट बोध को समझना है तो भारत की सांस्कृतिक धरोहर को समझना होगा।

      इस अवसर पर झारखंड, मध्य प्रदेश, मथुरा, अयोध्या, दिल्ली और हरियाणा से आए कवियों ने अपनी कविताओं से सभागार में ओज का माहोल बना दिया। गजेंद्र सोलंकी ने कविता के माध्यम से कहा कि जुग-जुग से कल-कल कर कहता गङ्गा-यमुना का पानी है।/इस धरती पर जनम लिया बस अपनी यही कहानी है।/एक सभ्यता, इक संस्कृति अपना इतिहास बताती है।/जाति-पंथ सब भले अलग पर खून तो हिंदुस्थानी है। चर्चित गीतकार चरणजीत चरण ने कहा – जीवन के सारे वैभव को तज दिया पर / नई नस्लों को अंधियार से बचा लिया / शत शत वंदन नमन ऐ शहीदों तुम्हे / देश को गुलामी के गुबार से बचा लिया कवि मानवीर मधुर ने स्वदेश के लिए समर्पण के भाव को अभिव्यक्त करते हुये कहा "रक्षक बन जो भी विशेष अब, शेष, हेतु मरना होगा ।/छोड़ नग्नता ख़ुद स्वदेश के वेश, हेतु मरना होगा।/यदि यूँ ही मर गए, रखेगा कौन याद इस दुनियाँ में,/सदियों तक ज़िन्दा रहना तो, देश हेतु मरना होगा ।।"

      युवा कवि राधाकान्त ने देश के विरोधियों को चेतावनी देते हुये कहा – प्रेम का संदेश लेके पास यदि आये कोई/त्रुटि करे तो भी होके क्रुद्ध मत बोलना।/और शत्रु के लिए हो तेवर सुभाष वाला/ वहां कभी बन के प्रबुद्ध मत बोलना।/यदि कभी दे न सको साथ सत्यता का तो भी/ शुद्ध भावना रहे अशुद्ध मत बोलना।/सबको स्वतंत्रता मिली है बोलने कि किन्तु/याद रहे देश के विरुद्ध मत बोलना। 

हरीश अरोड़ा ने भारत की गौरवशाली परंपरा को सामने लाते हुये कहा कि- जो नहीं सत्य का पथ देती वह धरा नहीं है हिन्द देश/है भरा स्नेह माधुर्य जहां वह मरा नहीं है हिन्द देश/वह जीवित है अब भी यौवन की आँखों मे जाकर देखो/फिर कैसी शक्ति कैसा बल जो झुका सके यह हिन्दी देश/हम हिमशिखरों से ऊंचे हैं किन्तु अभिमान न छु पाया/हम सागर की भांति जीते पर नफरत की जलधार नहीं।‘  




   युवा कवि उपेंद्र पांडे ने सर पर कफन बांधकर तिरंगे की मर्यादा को बचाए रखने के लिए कहा – वतन के वास्ते ही तो वतन की लाज रखते हैं /शिराओं में यहाँ भरकर हम फौलाद रखते हैं / करे लाखों यतन दुश्मन भारत झुक नहीं सकता / कफन हम बांधकर सिर पर तिरंगा ताज रखते हैं। वही अवनीश ने आज के दौर में चुप रहने वालों को आईना दिखते हुये कहा झुकाते क्यों रहे हो सर, ज़रा मुझको बताओ भी। जुबां ख़ामोश रखने का, क्या किस्सा है सुनाओ भी।/ गुज़रते दौर में गुमनाम हैं, सच बोलने वाले,/ अगर कुछ बोल बैठे हो, उसे करके दिखाओ भी।
इनके अतिरिक्त कवि सम्मेलन में विनीत पांडे, उपेंद्र और अवनीश ने भी अपनी रचनाओं से विजय पर्व का-सा माहोल बना दिया। सम्मेलन में लोकसभा टीवी, इंडिया न्यूज़ और वी के न्यूज़ ने कार्यक्रम को प्रसारित किया। इस अवसर पर प्रेसिडेंट ट्रैवल सर्विस ने सभी कवियों को सम्मानित करते हुये कहा कि राष्ट्र के इस यज्ञ में कवियों के साथ-साथ सभी भारतीयो को भी समिधा अर्पित करनी चाहिए। इस अवसर पर डॉ सुरेश शर्मा, डॉ कृष्ण मुरारी, डॉ रुक्मिणी, आशा, मीना, अनिल कुमार सिंह, डिम्पल गुप्ता, श्रुति रंजना, अमित भगत आदि प्राध्यापकों तथा विद्यार्थियों ने कार्यक्रम का आनंद लिया। अंत में डॉ हरीश अरोड़ा ने सभी का धन्यवाद किया।





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